शहरी क्षेत्रों दिल्ली में घुड़सवारी पुलिस के बहाली के कार्य में व्यस्त दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय विभाग

हाल ही में 2021 में, दिल्ली पुलिस ने दिल्ली शहर में घुड़सवार पुलिस की बहाली के लिए एक प्रक्रिया शुरू की थी. प्रणाली को आधुनिक बनाने, लागत को बचाने, पुलिस को अधिक कुशल बनाने के बजाय, दिल्ली पुलिस महामारी में भी घुड़सवार पुलिस की बहाली के लिए खुद को केंद्रित कर रही है. घुड़सवार पुलिस की बहाली पर दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय का ध्यान बहुत ही अजीब, निरर्थक और पैसों का दुरुपयोग करना है. 29  जून 2018  को गृह मंत्रालय द्वारा आदेश पारित किया गया था कि दिल्ली पुलिस में घुड़सवारी दस्ता (माउंटेड पुलिस) को दोबारा खड़ा किया जाए और इसके लिए भर्ती प्रक्रिया चलाई जाये.  

अब यह सवाल उठना आवश्यक है कि दिल्ली जैसे शहरी क्षेत्र में घुड़सवारी पुलिस की बहाली पर गृह मंत्रालय कार्य क्यों कर रहा है. घुड़सवारी का आगमन प्राचीन काल में या तो शौक के रूप में प्रचलित है इसके अलावा प्राचीन और मध्य काल में युद्ध में घोड़ों बड़ी भूमिका निभाते थे.

दिल्ली एक महा नगरीय शहर है और अधिक से अधिक भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है. वाहन द्वारा सड़क पर जानवरों के आकस्मिक मामले आम हैं. सभी जानवरों का अपना व्यवहार और प्राकृतिक क्षेत्रों में रहने के हकदार हैं. जब हम अनावश्यक रूप से उन पर उनके व्यवहार को बदलने, उनकी स्वतंत्रता बाधित और उन्हें प्राकृतिक जीवन से वंचित करने के लिए दबाव डालते हैं, तो उनका स्वभाव उग्र और चिड़चिड़ा हो सकता है ऐसी भयानक स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार होगा? क्योंकि अंततः घोड़ों को दर्द होगा और उनकी स्वतंत्रता में बाधा आएगी. ये सभी गतिविधियां पशु के अधिकारों का हनन, पशु के कानूनों का उल्लंघन और पशु-क्रूरता को बढ़ावा देती हैं.

आज के युग में वाहनों की दौड़ में और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में केन्द्र घोड़ों के इस्तेमाल का तुगल की फरमान जारी करना फिजूलखर्ची एवं पशु क्रूरता का एक जीता-जाता उदाहरण है. आज जब देश करोना जैसी महामारी से जूझ रहा है और देश की आर्थिक दशा बेहद खराब हो चली है. ऐसी स्थित में दिनांक 25 नवम्बर 2021 को गृह मंत्रालय ने माउंटेड पुलिस का प्रपोजल जारी किया गया है. गृह मंत्रालय घोड़ा दस्ता की बहाली में करोडो रूपये खर्च करने पर तुला हुआ है.

दिल्ली पुलिस को वाहनों की जरूरत है जिससे बिना समय गंवाए अपराधियों को पकड़ने में सहायता मिले हैं, इस शहर में घोड़ों की जरूरत नहीं है. घुड़सवार पुलिस का एजेंडा पैसे, समय की बर्बादी करना और पुलिस को विचलित करना और उन्हें मध्ययुगीन / सामंती युग की ओर धकेलना है.

पहले से बचे कुछ घोड़ों जो कि 5 राजपुरा रोड,  तीस हज़ारी कोर्ट दिल्ली और अन्य  सरकारी  घोड़ों के बाड़े  में सालो से घोड़े कैद है, बेहद ही बदतर हालत में रह रहे है. अब केन्द्र सरकार दोबारा से मुआयना करने एवं नए दस्ते के बहाल करने के फरमान के तत्काल वापस लिया जाना चाहिए.
हमारी संस्था ने गृह मंत्रालय विभाग और पुलिस विभाग से RTI द्वारा घुड़सवारी पुलिस की बहाली से सम्बंधित दस्तावेज़ और बहाली को खत्म किया जाये , इस सभी पर जवाब माँगा गया है परन्तु विभाग ने अब तक कोई जवाब देना उचित नहीं समझा गया  या ये कहा जाये कि ग़ैर -जिम्मेदाराना रवैये जिसमें पैसे, समय की बरबादी, पशु के अधिकारों का हनन, पशु के कानूनों का उल्लंघन और पशु - क्रूरता का कोई जवाब नहीं है.